धर्ममध्य प्रदेश

Chaitra Navratri 2025: सर्वार्थसिद्धि योग में 30 मार्च से चैत्र नवरात्र की होगी शुरुआत, आठ दिन का रहेगा पर्वकाल

चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू होंगे और आठ दिनों तक चलेंगे। इस दौरान सर्वार्थसिद्धि योग और रवियोग का संयोग रहेगा, जो साधना और आराधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा और आराधना की जाती है।

HighLights

  1. देवी की पूजा और आराधना का महत्वपूर्ण पर्व है चैत्र नवरात्र।
  2. सर्वार्थसिद्धि योग में साधना और आराधना के लिए विशेष योग।
  3. इस नवरात्र के दौरान की गई साधना विशेष फल प्रदान करेगी।

उज्जैन(Chaitra Navratri 2025)। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर 30 मार्च को देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र का आरंभ होगा। तिथि मतांतर से इस बार नवरात्र आठ दिन के रहेंगे। खास बात यह है कि महापर्व के दौरान चार दिन रवियोग तथा तीन दिन सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग रहेगा।

साधना, आराधना की दृष्टि से यह योग बेहद महत्वपूर्ण है। इन योगों में की गई साधना साधक, आराधक को शुभ व मनोवांछित फल प्रदान करती है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर 30 मार्च को रविवार के दिन वासंती नवरात्र का आरंभ होगा।

सर्वार्थसिद्धि योग होने से इसकी शुभता और बढ़ी

इस दिन रेवती नक्षत्र, बव करण तथा मनी राशि उपरांत मेष राशि का चंद्रमा रहेगा। पंचांग के इन पांच अंगों की मौजूदगी में घट स्थापना का अनुक्रम रहेगा। रेवती पंचक का नक्षत्र है, ऐसे में नवरात्र में की गई देवी की साधना, आराधना पांच गुना शुभफल प्रदान करेगी।

इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने से इसकी शुभता और भी बढ़ गई है। क्योंकि सर्वार्थसिद्धि योग सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाला मना गया है।

रेवती नक्षत्र से आरंभ साधना 5 गुना शुभ फल प्रदान करेगी

इस बार नवरात्र का आरंभ और रेवती नक्षत्र में होने से यह विशेष फल प्रदान करेगी क्योंकि रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र माना जाता है। पांचवां नक्षत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होता है, तो विशेष कल्याणकारी माना गया है। अलग-अलग प्रकार के धर्म ग्रंथो में विशेष कर मुहूर्त चिंतामणि में इसका उल्लेख दिया गया है। इस दृष्टि से भी नवरात्र के दौरान की गई साधना विशेष फल प्रदान करेगी।

तिथि का क्षय होने से 8 दिन की नवरात्रि

इस बार नवरात्र आठ दिनों के रहेंगे। अलग-अलग पंचांगों में तिथि को लेकर के अलग-अलग प्रकार की गणना में बताया गया है। कुछ पंचांगों में तृतीया, कुछ पंचांग में द्वितीया तथा कुछ पंचांग में तृतीया व चतुर्थी संयुक्त दी गई है। इस दृष्टि से गणना का अलग-अलग प्रभाव दिया गया है।

वर्षभर में चार नवरात्र विशेष

पं.डब्बावाला ने बताया देवी की साधना, आराधना के लिए वर्षभर में चार नवरात्र विशेष माने गए हैं। इनमें दो प्राकट्य व दो गुप्त नवरात्र बताए हैं। चैत्र व शारदीय नवरात्र को प्राकट्य नवरात्र कहा जाता है।

वहीं माद्य व आषाढ़ मास के नवरात्र गुप्त नवरात्र कहे गए हैं। लोकमान्यता में चैत्र नवरात्र बड़ी नवरात्र है, क्योंकि यह सृष्टि के आरंभ का दिन है। उज्जैन के लिए यह नवरात्र विशेष है, क्योंकि इसी दिन नगर दिवस भी मनाया जाता है।

देश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में चैत्र नवरात्र में देवी का नित नया श्रृंगार होगा। शाम को गोधूलि वेला में दीपमालिका प्रज्वलित की जाएगी। सिद्धपीठ गढ़कालिका माता मंदिर में भी दीपमालिका प्रज्वलित होगी। भक्त माता गढ़कालिका की कुमकुम पूजा करेंगे। शहर के अन्य देवी मंदिरों में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button