धर्म

Pitru Paksha Tarpan 2024: गया में पितरों का तर्पण करने के बाद भी नहीं छोड़ना चाहिए उनका श्राद्ध करना

Pitru Paksha 2024: उज्जैन के ज्योतिष आचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार गया में पितरों को छोड़कर आ जाइये ऐसा कही नहीं लिखा है। कई लोग गया जी में श्राद्ध करने के बाद अपने पितरों (Pitru Trapan) के निमित्त धूप, ध्यान, पिंडदान नहीं करते, जबकि यह गलत है। उन्होंने कहा कि तर्पण श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध, तीर्थ श्राद्ध यह नित्य हैं, इन्हें त्यागना नहीं चाहिए।

HIGHLIGHTS

  1. श्राद्ध पक्ष की शुरुआत इस साल 18 सितंबर से हो रही है।
  2. श्राद्ध प्रतिवर्ष करने की स्थितियां हैं, इसे जरूर करना चाहिए।
  3. श्राद्ध नहीं करने से पितरों का दोष लगना शुरू हो जाता है।

 उज्जैन(Pitru Paksha 2024 Date)। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है। धर्मशास्त्रों में इस दौरान पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दौरान गया जी में पितरों के तर्पण का महत्व भी है।

ज्योतिष आचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार कई लोग गया जी में श्राद्ध करने के बाद अपने पितरों के निमित्त धूप, ध्यान, पिंडदान नहीं करते, जबकि यह गलत है। शास्त्रीय अभिमत के अनुसार देखें तो श्राद्ध प्रतिवर्ष करने की स्थितियां हैं अर्थात श्राद्ध हर वर्ष करने चाहिए।

नित्य श्राद्ध को त्यागना नहीं चाहिए

तर्पण श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध, तीर्थ श्राद्ध यह नित्य हैं, इन्हें त्यागना नहीं चाहिए। इनके त्याग से पितरों का दोष लगना शुरू हो जाता है, रही बात गया श्राद्ध की तो पौराणिक मत यह है कि जो पुत्र तन, मन, धन से योग्य है वह पितरों के निमित्त गया श्राद्ध अवश्य करें, यह लिखा है।

गया में पितरों को छोड़कर के आ जाइए ऐसा नहीं लिखा है। इसलिए भ्रांति से निकल करके गया श्राद्ध के बाद भी पितरों के निमित्त तीर्थ श्राद्ध या पार्वण श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

Pitru Paksha 2024 Date: किस तारीख को कौन सी तिथि का श्राद्ध

  • 18 सितंबर – पूर्णिमा उपरांत प्रतिपदा का श्राद्ध
  • 19 सितंबर – द्वितीया का श्राद्ध
  • 20 सितंबर – तृतीया का श्राद्ध
  • 21 सितंबर – चतुर्थी का श्राद्ध, भरणी श्राद्ध
  • 22 सितंबर – पंचमी का श्राद्ध, कुमार पंचमी
  • 23 सितंबर – षष्ठी का श्राद्ध दोपहर 12 तक उसके बाद सप्तमी का श्राद्ध है
  • 24 सितंबर – अष्टमी का श्राद्ध
  • 25 सितंबर – नवमी का श्राद्ध, सौभाग्यवतियों का श्राद्ध है
  • 26 सितंबर – दशमी का श्राद्ध
  • 27 सितंबर – एकादशी का श्राद्ध
  • 28 सितंबर – एकादशी का एकोद्दिष्ट श्राद्ध
  • 29 सितंबर – द्वादशी का श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध, मघा श्राद्ध
  • 30 सितंबर – सोम प्रदोष पर त्रयोदशी का श्राद्ध
  • 1 अक्टूबर – चतुर्दशी का श्राद्ध
  • 2 अक्टूबर – सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या का श्राद्ध, पितृपक्ष पूर्ण

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button