धर्मसंस्कृति

पौष पूर्णिमा व्रत कब? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

साल में आने वाली हर एक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की कृपा मिलती है। इस बार पौष पूर्णिमा से महाकुंभ मेले का आरंभ हो रहा है। इसी के साथ आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा।

पूर्णिमा व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। पूर्णिमा का व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि के दिन जो व्यक्ति स्नान दान के कार्य करता है वह शुभ फलदायी माने जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति को सभी दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। तो आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा।

कब रखा जाएगा पौष पूर्णिमा का व्रत ?
पंचांग के अनुसार, पौष माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 जनवरी को सुबह में 5 बजकर 2 मिनट पर होगा और पूर्णिमा तिथि अगले दिन 14 जनवरी को सुबह 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पूर्णिमा तिथि उदयकाल में 13 जनवरी को होने के कारण पूर्णिमा का व्रत 13 जनवरी सोमवार के दिन रखा जाएगा।

पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में शाही स्नान किया जाता है। इसी के साथ इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस बार पौष पूर्णिमा से यानी 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ मेला शुरु होने जा रहा है।

पौष पूर्णिमा के दिन करें ये काम
पौष पूर्णिमा के सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। यदि आप किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान कर सकते हैं तो उत्तम है। वरना आप घर पर ही गंगाजल पानी में डालकर स्नान कर लें। फिर व्रत का संकल्प लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर पीले रंग के वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पूजा में धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें और अंत में पूर्णिमा की कथा पढ़ें।

 

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