20 साल में दोगुनी हुई सिख आबादी, 40 फीसदी से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट, घरों का संकट इतना बढ़ा कि अब यह देश …
देश में घरों के लिए बढ़ते संकट का सामना कर रही कनाडा (Canada) की सरकार अंतरराष्ट्रीय छात्रों (International Student) की संख्या घटाने पर विचार कर रही है. सीटीवी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने लगभग 9 लाख अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की मौजूदा संख्या के बारे में चिंता जाहिर की. मिलर ने संघीय सरकार को इसके बारे में प्रांतीय सरकारों के साथ बात करने की जरूरत होगी. मिलर ने कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या के बारे में कहा कि यह वास्तव में एक ऐसी प्रणाली है, जो नियंत्रण से बाहर हो गई है.
कनाडा पूरी दुनिया से छात्रों में एक लोकप्रिय जगह है क्योंकि वर्क परमिट (Work Permit) हासिल करना अपेक्षाकृत आसान है. कनाडा अपनी इकोनॉमी (Economy) की बढ़ोतरी और बढ़ती उम्र वाली आबादी को देखते हुए आप्रवासन पर बहुत ज्यादा निर्भर है. हालांकि प्रवासियों और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी को आवास संकट के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जिससे घरों की बढ़ती मांग और तेज हो गई है. घरों की बढ़ती संख्या के कारण अप्रवासियों को ढील देने के लिए सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा है.
भारतीय छात्र
कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की एक बड़ी संख्या भारत से है. पिछले साल नवंबर के अंत तक उनकी संख्या कुल विदेशी छात्रों में 37 फीसदी से अधिक थी. भारत कथित तौर पर 2018 से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सबसे बड़ा स्रोत देश रहा है. कनाडा में विशेष रूप से पिछले दो दशकों में सिखों की आबादी की हिस्सेदारी दोगुनी से अधिक बढ़ गई है. उच्च शिक्षा और नौकरियों की तलाश में बड़ी संख्या में लोग भारत से कनाडा गए हैं.