मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन ने दुनिया को कहा अलविदा
दुनियाभर में शास्त्रीय संगीत में भारत को अलग पहचान दिलाने वाले उस्ताद और मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। 73 साल की उम्र में जाकिर हुसैन का निधन हो गया। जाकिर हुसैन ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में आखिरी सांस ली। जाकिर हुसैन फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। जिसके चलते उन्हें दिल से जुड़ी समस्याएं पैदा हुईं। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां हार्ट से जुड़ी समस्याओं के कारण उनकी मौत हो गई।
छोटी उम्र से ही उन्होंने अपने पिता से तबला वादन सीखकर संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था. जिसके बाद अपने हुनर के दम पर उन्होंने दुनियाभर में अपनी विशेष जगह बनाई. केवल भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका से लेकर यूरोप तक के संगीत प्रेमियों को उन्होंने अपने तबला वादन से अपना दीवाना बना दिया था।
उनकी शादी मशहूर दिवंगत सितारा देवी की शिष्या एंटोनिया मिनेकोला से हुई थी. मिनेकोला इतालवी-अमेरिकी हैं, जो डांसर, टीचर और मैनेजर भी रही हैं. अनीसा कुरेशी और इसाबेला कुरेशी नाम की उनकी दो बेटियां हैं।अ
पने पहले कार्यक्रम में केवल 5 रुपये की कमाई से लेकर पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण और 5 ग्रैमी अवॉर्ड जीतने का उनका सफ़र अद्भुत रहा है. वे अपने पीछे करोड़ों रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं।
पद्मश्री से लेकर पद्मविभूषण से किये गये थे सम्मानित
जाकिर हुसैन को कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. उन्हें साल 1988 में पद्मश्री से नवाजा गया था. इसके बाद साल 2002 में उन्हें पद्मभूषण और साल 2023 में पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. हुसैन को 1990 में संगीत के सर्वोच्च सम्मान ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी नवाजा गया था
4 बार ग्रैमी पुरस्कार से हुए थे सम्मानितब
ता दें कि जाकिर हुसैन को कंटेम्पररी वर्ल्ड म्यूज़िक एलबम कैटगरी में ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ एल्बम के लिए 2009 में 51वें ग्रैमी अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया था. गौरतलब है कि उस्ताद जाकिर हुसैन को अपने करियर में 7 बार ग्रैमी पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था जिनमें से उन्हें चार बार इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट की मानें को जाकिर हुसैन के परिवार ने एक बयान में कहा कि उन्हें ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ नामक एक दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी थी, जिसकी वजह से कॉम्प्लिकेशन आने लगे थे।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) क्या है?
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। आप सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे फेफड़ों में छोटी-छोटी हवा की थैलियों से होते हुए खून में जाता है और फिर यहां से शरीर के सभी अंगों को मिलता है। लेकिन आईपीएफ होने पर फेफड़ों के भीतर निशान ऊतक बढ़ने लगते हैं। जिससे सांस लेना मुश्किल होने लगता है। उम्र के साथ ये समस्या और भी खराब होने लगती है। इससे फेफड़ों के जरिए खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिससे आपके शरीर के दूसरे अंग ठीक से काम नहीं कर पाते हैं।