Bihar News: CM नीतीश कुमार ने थमाया नया टास्क, पुल बनाने वाले इंजीनियरों की शुरू हो गई ‘स्पेशल’ ट्रेनिंग

राज्य में धड़ाम होते पुलों पर ब्रेक लगाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने पथ निर्माण विभाग को नया टास्क दिया था। जिसपर अमल करते हुए विभाग ने अपने इंजीनियरों की ट्रेनिंग शुरू करा दी है। इस ट्रेनिंग में इंजीनियरों को पुलों के मेंटेनेंस के लिए किस तरह की सक्रियता के साथ काम करना है सहित सभी आवश्यक विषयों पर ट्रेनिंग दी जाएगी।
- नीतीश कुमार ने पथ निर्माण विभाग को दिए थे इंजीनियरों की ट्रेनिंग कराने के आदेश
- पुल के ख्यातिलब्ध विशेषज्ञ वीके रैना देंगे इंजीनियरों को ट्रेनिंग
पटना। पुलों के अचानक ध्वस्त होने की कई घटनाओं के बाद पुलों के रख रखाव को ले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पथ निर्माण विभाग के आला अधिकारियों को कई निर्देश दिए थे।
इसी क्रम में पथ निर्माण विभाग ने अब अपने इंजीनियरों के लिए यह ट्रेनिंग आरंभ करायी है कि पुलों के मेंटेनेंस के लिए उन्हें किस तरह की सक्रियता के साथ काम करना है।
पुल क्षेत्र के ख्यातिलब्ध विशेषज्ञ वीके रैना को बिहार बुलाकर अभियंताओं को सामूहिक रूप से ट्रेनिंग दी जा रही।
80-80 का समूह बनाकर दी जा रही ट्रेनिंग
पुलों के रख रखाव को ले अभियंताओं को जो ट्रेनिंग दी जा रही उसके लिए 80-80 अभियंताओं का समूह बनाया गया है। इसमें बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के इंजीनियर विशेष रूप से शामिल हैं।
मार्गदर्शिका को आधार बनाकर दी जा रही ट्रेनिंग
पुलों के रख रखाव को ले पथ निर्माण विभाग ने एक मार्गदर्शिका तैयार की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उक्त मार्गदर्शिका का लोकार्पण किया था। उसी मार्गदर्शिका के आधार पर इंजीनियरों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा।
सुपर स्ट्रक्चर से लेकर, बियरिंग व एक्सपैंशन ज्वायंट का निरीक्षण कितनी अवधि के अंतराल पर किया जाए इस बारे में इंजीनियरों को बताया जा रहा।
पुलों के स्ट्रक्चरल ऑडिट पर भी हो रही बात
पुल मेंटेनेंस को चल रहे इंजीनियरों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में पुलों के स्ट्रक्चरल आडिट पर भी बात चल रही। इंजीनियरों को कहा जा रहा कि इस दिशा में क्षेत्रवार काम कराया जाए।
इससे यह सुविधा होगी कि समस्या बहुत अधिक नहीं बढ़ेगी। संरचना में किसी तरह का दोष मिलता है तो उसे ठीक करने में भी आसानी होगी। सुपर स्ट्रक्चर को नियमित रूप से देखने की बात कही जा रही।
पुलों के डिजायन को ले अथॉरिटी इंजीनियर द्वारा जो मॉडल दिया जाता है उसकी जिम्मेवारी तय करना भी जरूरी है। छोटे से लेकर बड़े पुलों की क्या स्थिति है इस बारे में हाल ही में पथ निर्माण विभाग ने एक सर्वे भी कराया था।