
Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह एक अनुबंध नहीं है जिसे सहमति से भंग किया जा सकता है। कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सीमित आधारों पर हिंदू विवाह भंग या समाप्त किया जा सकता है। कोर्ट ने यह आदेश पिंकी की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर अधिवक्ता महेश शर्मा ने बहस की।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह अनुबंध नहीं है, जिसे सहमति से भंग किया जा सके। कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सीमित आधारों पर हिंदू विवाह भंग या समाप्त किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा यदि दोनों में से किसी पर नपुंसकता का आरोप है तो अदालत साक्ष्य लेकर विवाह को शून्य घोषित कर सकती थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने पिंकी की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर अधिवक्ता महेश शर्मा ने बहस की।