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छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी का अनोखा खेल… म्यूल अकाउंट से देश के बाहर भेजे जा रहे थे करोड़ों रुपये; पढ़ें पूरी रिपोर्ट
साइबर पुलिस ने छत्तीसगढ़ के साथ ओडिशा राजस्थान से अब तक 72 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में त्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक के चार अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया है। जांच में सामने आया कि 104 खाते उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक की एक ही ब्रांच में खोले गए हैं जिनसे ठगी की रकम ट्रांसफर की गई थी।

साइबर पुलिस ने छत्तीसगढ़ के साथ ओडिशा, राजस्थान से अब तक 72 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये मामला 85 करोड़ रुपये की साइबर ठगी से जुड़ा है। साइबर पुलिस को मलेशिया, चीन सहित अन्य देशों में 200 करोड़ भेजे जाने के साक्ष्य मिले हैं। इसके लिए म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल किया जा रहा था।
सोमवार को पुलिस ने इस मामले में उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक के चार अधिकारियों शुभम सिंह ठाकुर, हिमांशु शर्मा, सुमित दीक्षित और अनुपम शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया है। ये सभी बैंक में सेल्स एक्जीक्यूटिव हैं।
कई खातों की मिली थी शिकायत
एक साल में गृह विभाग के क्राइम पोर्टल और जिला पुलिस के पास देशभर के 1,100 बैंक खातों की शिकायतें आई थी। इसमें ठगी के पैसों का ट्रांजेक्शन हुआ था। इन खातों को ब्लॉक कराने के बाद इन्हीं 1,100 खातों में हुए पैसों के ट्रांजेक्शन की पड़ताल शुरू की गई।
जांच के बाद 160 खातों को चिन्हित किया गया। राजफाश हुआ कि इन खातों से ठगी के 85 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। इसमें भी 104 खाते उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक की एक ही ब्रांच में खोले गए हैं।
57 करोड़ का ट्रांजेक्शन
इसमें ठगी के 57 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। बताया जा रहा है इस गिरोह के सूत्रधार मनी लॉन्ड्रिंग कर विदेश भेजी गई रकम को वापस एक नंबर पर भारत भेजते है।
इस गिरोह में नाइजीरियन गैंग से जुड़े लोग देश के अलग-अलग राज्यों में ठिकाना बनाकर ठगी करने छद्म रूप में सक्रिय हैं। इसके लिए नाइजीरियन गैंग के जालसाज छत्तीसगढ़ में स्टूडेंट वीजा लेकर दिल्ली में बैठे अपने साइबर फ्रॉड के साथियों की मदद कर रहे हैं।
खूब मिलता था इंसेंटिव
- सिविल लाइन स्थित उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक के गिरफ्तार बैंककर्मियों का वेतन 12 से 15 हजार रुपये है, लेकिन वे ठगों के संपर्क में आकर हर महीने टारगेट से ज्यादा खाते खुलवा रहे थे।
- बैंक इनके काम को देखकर मुंबई में हर महीने पार्टी देती थी। हर महीने 50 हजार रुपये इंसेंटिव अलग से मिलता था। आरोपियों की संपत्ति की जांच की जा रही है। उसे भी अटैच किया जाएगा।
- मांझी केटर्स, यादव ट्रेडर्स, निर्मलकर एग रोल, राजू चिकन सेंटर, अजय इंटरप्राइजेस समेत ऐसी कई कंपनियां बनाई गईं। इसमें फर्जी आडिट रिपोर्ट लगाई है। जीएसटी नंबर नहीं हैं। इन कंपनियों के नाम से अलग-अलग बैंक में खाते हैं। उसमें हर माह 50 लाख के ट्रांजेक्शन होते थे।