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अंधेरे की गुलामी से बाहर निकला छत्तीसगढ़ का यह गांव, पहली बार बिजली पहुंचने से ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का एक ऐसा गांव है जहां आजादी के बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी। अब उस गांव के लोगों ने बल्ब जलते देखा है। बिजली पहुंचने से गांव में खुशी का माहौल है। बताया जा रहा है कि यह माओवादी प्रभावित इलाका था। सरकार की पहल से पहली बार लाइट जली है।

बीजापुर के चिलकापल्ली गांव में आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची है। यह पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्र था। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साई की योजना ‘नियाद नेल्लनार’ के तहत इस गांव को बिजली मिली है। बिजली पहुंचने से गांव वालों खुशी से झूम उठे।

बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर चिकापल्ली गांव बिजली से लैस होने वाला बीजापुर का 6वां गांव है। छत्तीसगढ़ सरकार दूरदराज के आदिवासी गांवों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर रही है। बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने इस पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले महीनों में और गांवों के विद्युतीकरण की योजना बनाई गई है। चिलकापल्ली गांव का विद्युतीकरण छत्तीसगढ़ सरकार के इन गांवों को आवास, बिजली, पेयजल, सड़क, पुल और स्कूल जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करके “आदर्श गांव” बनाने के प्रयासों का हिस्सा है।

यह 6 वां गांव है जहां आजादी के बाद पहुंची है बिजली

कलेक्टर मिश्रा ने कहा, “यह बहुत खुशी की बात है कि 23 जनवरी को चिलकापल्ली गांव में बिजली पहुंच गई। यह छठा गांव है जहां हमने बिजली पहुंचाई है और हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में हम व्यवस्थित तरीके से और गांवों में भी बिजली पहुंचा देंगे।” चिलकापल्ली के निवासियों के लिए बिजली ने उनके दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण सुधार लाया है।

गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं

एक आदिवासी महिला ने कहा, “पहले यहां बिजली नहीं थी। अब बिजली आ गई है, इससे खाना बनाने में मदद मिलती है, बच्चों को रात में पढ़ाई करने में भी मदद मिलती है।” चिलकापल्ली गांव की एक अन्य निवासी ने अपने गांव में बिजली आने पर खुशी जताते हुए कहा, “अब जब हमारे पास बिजली आ गई है, तो हम टीवी देख सकते हैं, खाना बना सकते हैं और रात में बिना किसी डर के बाहर भी निकल सकते हैं।” बीजापुर में बिजली विभाग के एक कर्मचारी फल्दूर के अनुसार, चिलकापल्ली गांव में बिजली लगाने के लिए आना-जाना मुश्किल था। गांव में बिजली पहुंचने में 3-4 महीने लग गए, यह गांव फुटकेल पंचायत का हिस्सा है और अब तक इसे जोड़ने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं थी।

बिजली पहुंचाने में लग गए 4 महीने

फल्दूर ने कहा, “बिना बिजली के आवागमन मुश्किल था। सरकारी अधिकारियों ने ग्रामीणों से बात की और फिर यहां बिजली की व्यवस्था की। ग्रामीणों का कहना है कि अब जब सरकार ने बिजली मुहैया करा दी है, तो वे सांप और बिच्छुओं से खुद को बचा सकते हैं। यहां बिजली पहुंचने में 3-4 महीने लग गए”।

माओवाद का भी खात्मा

बिजली के अलावा, सीआरपीएफ की तैनाती ने माओवाद की काली छाया को भी हटा दिया है, जिसने पहले इस क्षेत्र को त्रस्त कर रखा था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने माओवाद को समाज के लिए कैंसर बताते हुए इसे खत्म करने के लिए राज्य के मजबूत रुख की पुष्टि की।

 

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