9 या 10 जनवरी! इस दिन 2025 की पहली Putrada Ekadashi, संतान प्राप्ति के लिए करें ये खास उपाय, जानें सही तिथि
हिन्दू धर्म मे एकादशी का विशेष महत्व है. 2025 की पहली एकादशी बेहद खास है. क्युकि इस पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन पुत्र या संतान प्राप्ति के लिए उपाय करने से सफलता मिलती है.आइए जानते है विस्तार से.

हिन्दू धर्म में हर तिथि हर व्रत का अलग-अलग महत्व है. साल में 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं. हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है. एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही सभी मन्नते पूरी होती हैं. इस दिन किया गया व्रत अनेक फल की प्रप्ति कराता है. आइए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी कब है.
कब मनाई जाएगी साल की पहली एकादशी
वैदिक पंचांग के अनुसार साल की पहली एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी तिथि की शुरुआत 9 जनवरी दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर हो जाएगी. इसका समापन अगले दिन यानी 10 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 43 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा. इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं.
पुत्रदा एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है. ऐसे में जिन वैवाहिक जोड़ों को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है, उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए. पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है. पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु संग लक्ष्मी जी की आराधना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है.
कैसे रखें व्रत?
एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी का व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
– एकादशी व्रत के दिन बाल, नाखून, और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें.
– एकादशी व्रत के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए.
– एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है.