सिकलसेल संस्थान में इलाज की सुविधा का अभाव! भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सदन में उठाया मुद्दा।

रायपुर। सिकलसेल बीमारी से पीड़ित लाखों मरीजों के इलाज की समुचित व्यवस्था न होने का मुद्दा मंगलवार को विधानसभा में गूंजा। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से इस मामले को उठाया और सरकार पर सिकलसेल संस्थान की उपेक्षा का आरोप लगाया।
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सरकार को घेरा।
अजय चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश में 25 लाख लोग सिकलसेल बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन राज्य में सिर्फ एकमात्र चिकित्सा संस्थान रायपुर में संचालित है। इस संस्थान में न तो पर्याप्त विशेषज्ञ डॉक्टर हैं, न ही कोई ठोस शोध किया जा रहा है। इतना ही नहीं, संस्थान के पास अपना भवन भी नहीं है, जिससे मरीजों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था, तब सिकलसेल संस्थान की शुरुआत की गई थी, लेकिन भूपेश सरकार सिर्फ नारियल फोड़कर बैठ गई। मंत्री बताएं कि संस्थान में कितने डॉक्टर और विशेषज्ञ मौजूद हैं?”
स्वास्थ्य मंत्री का जवाब।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार सिकलसेल के उपचार को लेकर गंभीर है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में सिकलसेल प्रबंधन सेल की शुरुआत की गई है और अब तक 19 शोध पत्र प्रकाशित किए जा चुके हैं। डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है, और सिकलसेल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था शुरू करने की तैयारी हो रही है। उन्होंने बताया कि “प्रदेश में 180 पदों का सेटअप है, जिसमें 28 लोग कार्यरत हैं, जिनमें 4 विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हैं। हमारी सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर 11 बैठकें की हैं और जल्द ही डॉक्टरों की भर्ती पूरी की जाएगी। जब तक नई नियुक्तियां नहीं होतीं, तब तक डॉक्टरों को अटैच कर कार्यवाही की जाएगी।
संस्थान में सुविधाओं पर सवाल।
अजय चंद्राकर ने सवाल किया कि संस्थान में कितनी मशीनें उपलब्ध हैं और मानव संसाधन की क्या स्थिति है? इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि संस्थान में जरूरत के मुताबिक चार उन्नत मशीनें उपलब्ध हैं और 60 मरीजों की जांच प्रतिदिन की जा रही है। नौ तकनीशियन मशीनों के संचालन में लगे हुए हैं।
बोनमैरो ट्रांसप्लांट और जमीन पर विवाद।
विधायक चंद्राकर ने पूछा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बोनमैरो ट्रांसप्लांट और शोध की अनुमति कब तक मिलेगी? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संस्थान के ठीक बगल में स्थित एक सरकारी बंगले की जमीन भी संस्थान को देने की योजना थी, लेकिन इसमें अनियमितताओं की शिकायतें हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब दिया कि करीब दो एकड़ जमीन इस संस्थान के लिए प्रस्तावित थी, लेकिन किसी भी तरह की आर्थिक अनियमितता की जानकारी नहीं है। अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसकी जांच कराई जाएगी।
सरकार ने दिया जांच का आश्वासन।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने सिकलसेल संस्थान को मजबूत करने की दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए। उन्होंने आश्वासन दिया कि सिकलसेल के मरीजों के इलाज के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी और जरूरत पड़ने पर अनियमितताओं की जांच भी कराई जाएगी।