HighLights
- लोको पायलट, सहायक और ट्रेन मैनेजर (गार्ड) की भारी कमी है।
- लदान लक्ष्य में निरंतर वृद्धि के कारण बढ़ रहा है काम का बोझ।
- कर्मचारियों को पर्याप्त आराम और छुट्टी न मिलने से तनाव हो रहा।
बिलासपुर। लोको पायलट, सहायक और ट्रेन मैनेजर (गार्ड) की भारी कमी, साथ ही लदान लक्ष्य में निरंतर वृद्धि के कारण रेल कर्मचारियों को पर्याप्त आराम और छुट्टी न मिलने से शारीरिक और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप गाड़ियों के संचालन में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इसके विरोध में 20 फरवरी को सुबह से रनिंग स्टाफ 36 घंटे भूखे रहकर काम करेंगे। रेल प्रशासन की उदासीनता और कर्मचारियों की बढ़ती समस्याओं के चलते ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने 20 फरवरी से एक अनूठा विरोध प्रदर्शन शुरू करने का निर्णय लिया है।
अपनी समस्याओं को लाना चाहते हैं सामने
एसोसिएशन के आह्वान पर रनिंग स्टाफ ने 36 घंटे भूखे रहकर ट्रेन चलाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि इस कदम के माध्यम से वे अपनी समस्याओं और रेलवे प्रशासन की अनदेखी को सामने लाना चाहते हैं। संरक्षा मानकों की अनदेखी भी एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है।
अक्सर रेल दुर्घटनाओं के बाद रनिंग स्टाफ को दोषी ठहराया जाता है। मगर, असल में ये दुर्घटनाएं कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक दबाव के कारण हो सकती हैं। लगातार लंबे समय तक काम करने और पर्याप्त आराम न मिलने के कारण इन कर्मचारियों की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ रहा है।
गंभीर हुई समस्याएं, बीमार हो रहे कर्मचारी
लोको पायलटों के इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य रेल प्रशासन का ध्यान उनकी समस्याओं की ओर आकर्षित करना है। उनके लिए उचित विश्राम और स्वास्थ्य के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें।
यदि यह स्थिति नहीं सुधरी, तो आने वाले समय में रेल संचालन पर और अधिक गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह स्थिति अब गंभीर रूप धारण कर चुकी है। इससे अनेक लोको पायलट और अन्य रनिंग स्टाफ बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
हजार लोको और सहायक पायलट के पद हैं खाली
जोन में लोको पायलट के चार हजार पद रिक्त हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में 12 हजार लोको पायलट और सहायक पायलट के पद स्वीकृत हैं। मगर, वर्तमान में केवल आठ हजार पायलट ही कार्य कर रहे हैं। लोको पायलट के चार हजार पद रिक्त है।
इस विरोध की एक वजह यह भी है। उनकी मांग है कि रेलवे अविलंब इन पदों को भरें। इसके साथ ही साप्ताहिक विश्राम 16 प्लस 30 घंटे लागू करने और साइन ऑन से साइन ऑफ नौ घंटे ड्यूटी लागू करने जैसे विभिन्न मांगों की आवाज उठाई जाएगी।