न्यायपालिका

सुप्रीम कोर्ट में शख्स बोला- ‘पिता को दफनाना चाहता हूं, गांव वाले कह रहे- ईसाई तौर तरीके नहीं चलेंगे’

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को फटकार लगाई है और एक ईसाई व्यक्ति की ओर दायर याचिका पर जवाब मांगा है। शख्स ने कहा है कि वह छिंदवाड़ा गांव में अपने पादरी पिता को दफनाने में मुश्किलों का सामना कर रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि लोगों ने दफनाने को लेकर कड़ा विरोध किया है और पुलिस ने उसे कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस बात पर हैरानी जताई कि 7 जनवरी को जब व्यक्ति की मौत हुई थी, तब से शव जगदलपुर के जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के शवगृह में पड़ा हुआ है और पुलिस ने तब से कोई कार्रवाई नहीं की है।

20 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

पीठ ने पादरी के बेटे की याचिका पर जवाब मांगते हुए छत्तीसगढ़ सरकार को फटकार लगाई। पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि राज्य सरकार क्या कर रही है। मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।

सर्वोच्च न्यायालय माहरा जाति के रमेश बघेल की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था। इस अपील में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया है कि उनके पिता ईसाईयों के लिए बनी गांव के एक कब्रिस्तान में पादरी थे।

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज के क्या आधार बताए हैं?

याचिकाकर्ता ने कहा कि ग्राम पंचायत के सरपंच की ओर से जारी एक प्रमाण पत्र को मानते हुए उच्च न्यायालय ने मामले का यह कहते हुए निपटारा कर दिया कि इससे जनता में अशांति और असामंजस्य पैदा हो सकता है।

बघेल के अनुसार, छिंदवाड़ा गांव में शवों को दफनाने और दाह संस्कार के लिए ग्राम पंचायत की ओर से मौखिक तौर से एक कब्रिस्तान आवंटित किया गया है। इस गांव के कब्रिस्तान में आदिवासियों को दफनाने, हिंदू धर्म के लोगों को दफनाने या दाह संस्कार करने और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए अलग-अलग क्षेत्र निर्धारित है।

ईसाइयों के लिए तय जगह में याचिकाकर्ता की चाची और दादा को इस गांव के कब्रिस्तान में दफनाया गया है। अपने पिता की मृत्यु के बाद, याचिकाकर्ता और उसका परिवार अपने पिता का अंतिम संस्कार करना चाहता था और उनके पार्थिव शरीर को गांव के कब्रिस्तान में ईसाइयों के लिए तय जगह में दफनाना चाहता था। इसके बारे में सुनकर कुछ ग्रामीणों ने इसका आक्रामक रूप से विरोध किया और उन्होंने याचिकाकर्ता और उसके परिवार को इस जमीन पर याचिकाकर्ता के पिता को दफनाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।

निजी जमीन में दफनाने पर ग्रामीणों ने लगाए आरोप

याचिका में कहा गया है कि वे याचिकाकर्ता के परिवार को याचिकाकर्ता के परिवार की निजी स्वामित्व वाली जमीन पर शव को दफनाने की अनुमति भी नहीं दे रहे हैं। बघेल ने दलील दी कि ग्रामीणों के अनुसार, उनके गांव में एक ईसाई को दफनाया नहीं जा सकता, चाहे वह गांव के कब्रिस्तान में हो या उसकी अपनी निजी जमीन पर।

पुलिस ने भी परिवार पर शव को गांव से बाहर ले जाने के लिए दबाव भी डाला। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्होंने यह भी धमकी दी है कि अगर शव को उनके गांव में ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया गया तो वे याचिकाकर्ता और उसके परिवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।

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