
डेटा और उन्नत प्रौद्योगिकियों का रणनीतिक उपयोग कृषि में जल प्रबंधन को बदल सकता है: सीआईआई एग्रोटेक 2024 में विशेषज्ञ
क्लोनल कृषि वानिकी: उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक आशाजनक स्थायी समाधान
लखनऊ, 18 नवंबर 2024: सीआईआई एग्रोटेक इंडिया कृषि भारत 2024 के अंतिम दिन ‘एक सशक्त भविष्य के लिए सतत कृषि: नवाचार, जलवायु कार्रवाई और सामुदायिक सशक्तिकरण का एकीकरण’ विषय पर एक सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में विशेषज्ञों ने किसान समुदाय के लिए इनोवेटिव प्रैक्टिस, जलवायु-स्मार्ट समाधानों और सशक्तिकरण रणनीतियों पर चर्चा की। कृषि में प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार के सामाजिक कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री असीम अरुण ने कहा, “कृषि हम सभी की बुनियादी आवश्यकता है। कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी समय की मांग और अनिवार्यता है। यह न केवल चुनौतियों का समाधान करेगा बल्कि किसानों के लाभ को भी बढ़ाएगा। किसानों को सशक्त बनाने और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए कृषि वित्त और बाजार संपर्क महत्वपूर्ण हैं।” पैनलिस्टों में लीड्स कनेक्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के डीजीएम श्री पुनीत पांडे, एचसीएल फाउंडेशन के समुदाय और माई क्लीन सिटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री आलोक वर्मा, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट श्री संजय कुमार, एरीज एग्रो लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट श्री प्रदीप मिश्रा और श्री आशीष श्रीवास्तव शामिल थे, जिन्होंने गुणवत्तापूर्ण बीजों, सूखा प्रतिरोधी किस्मों जैसी उन्नत बीज तकनीकों और वैज्ञानिक फसल प्रबंधन पर किसानों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जलवायु-स्मार्ट कृषि तकनीकों को अपनाने की चर्चा की, जो उत्पादकता बढ़ाने में और प्रक्रिया आसान बनाने में मदद करती हैं। पैनल ने आगे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और क्रियाशील बुद्धिमत्ता की भूमिका पर चर्चा की, जो कृषि परिणामों को बेहतर बनाने में सहायक हो सकती है। एक अन्य चर्चा में, जिसमें श्री अवनेश सिंह, श्री शेनॉय सी. मैथ्यू, श्री उमाकांत पांडे, श्री सौरभ राय और श्री विजय वर्धन शामिल थे, ने किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामूहिक विकास को बढ़ावा देने, बाजार तक पहुंच में सुधार करने और उत्पादकता बढ़ाने में FPOs की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। सीआईआई एग्रोटेक कृषि भारत 2024 में, गैप को कम करना:प्रौद्योगिकी, साझेदारी और सिंचाई विषय पर चर्चा
CII एग्रोटेक कृषी भारत 2024 के चौथे दिन “जल और सिंचाई प्रबंधन” पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका विषय था – ‘गैप्स को पाटना: प्रौद्योगिकी, साझेदारी और सिंचाई’। इस सत्र में प्रतिष्ठित सरकारी अधिकारियों, उद्योग के नेताओं, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रतिनिधियों और CII अधिकारियों ने भाग लिया। चर्चा का मुख्य उद्देश्य भारत में जल और सिंचाई प्रबंधन को सुधारने के लिए परिवर्तनकारी समाधानों की खोज करना था। उत्तर प्रदेश के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह औलाख ने जल संरक्षण और टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के महत्व पर जोर दिया, जिससे फसल की जड़ों तक सीधे पानी की कुशल आपूर्ति सुनिश्चित होती है। उन्होंने कहा, “सरकार किसानों को जल-कुशल तरीके अपनाने और बाजरा, सब्ज़ियाँ और फलों जैसी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है।”सीआईआई उत्तरी क्षेत्र जल समिति के अध्यक्ष श्री भवदीप सरदाना ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में कुशल जल प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “डेटा और उन्नत प्रौद्योगिकियों के रणनीतिक उपयोग से टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देते हुए पानी की खपत में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।” उन्होंने पीएमकेएसवाई और जल शक्ति अभियान जैसी सरकारी पहलों की भी सराहना की, जो वर्षा जल संचयन और कुशल सिंचाई प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।भारतीय स्टेट बैंक के लखनऊ सर्किल के मुख्य महाप्रबंधक श्री शरद चांडक ने कृषि विकास में बैंकिंग क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने कुसुम योजना, जो सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों पर सब्सिडी देती है, और प्रति बूंद अधिक फसल, जो पर्यावरण अनुकूल सिंचाई प्रणालियों को अपनाने का समर्थन करती है, जैसी योजनाओं पर चर्चा की। उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता श्री संदीप कुमार ने राज्य के विस्तृत नहर नेटवर्क पर प्रकाश डाला,जो नदियों को जोड़ता है और विश्वसनीय सिंचाई सुनिश्चित करता है। कृषि वानिकी: गेहूं और धान की खेती का एक अभिनव विकल्प ‘कृषि वानिकी: गेहूं और धान की खेती का एक अभिनव विकल्प’ शीर्षक से एक समर्पित सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के किसानों को सतत फसल प्रणालियों के बारे में शिक्षित किया गया। इस सत्र में क्लोनल कृषि वानिकी को एक संभावित प्रथा के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो प्रारंभिक लागत अधिक होने के बावजूद दीर्घकालिक लाभप्रदता प्रदान करती है। सत्र में मिट्टी परीक्षण के महत्व पर जोर दिया गया, जो किसानों को उपयुक्त फसल और वृक्ष प्रजातियों का चयन करने में मदद करता है, ताकि वे बेहतर उपज प्राप्त कर सकें। विशेषज्ञों ने चंदन के पेड़ों की आर्थिक संभावनाओं को भी रेखांकित किया, जो अपने उच्च बाजार मूल्य और आकर्षक रिटर्न के लिए जाने जाते हैं। वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के डॉ. अजय ठाकुर, नैनी पेपर्स लिमिटेड के निदेशक तकनीकी श्री मुकेश कुमार त्यागी और श्री उत्कृष्ट पांडे सहित वक्ताओं ने कृषि वानिकी प्रथाओं पर व्यावहारिक अंतर्दृष्टि साझा की। उनके मार्गदर्शन ने किसानों को फसलों में विविधता लाने, मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और समृद्ध भविष्य के लिए संधारणीय प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया। यह आयोजन नवाचार, शिक्षा और सहयोग पर जोर देते हुए संपन्न हुआ, जो एक सशक्त और लचीले कृषि क्षेत्र के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।