गांव वालों के नाम पर बैंक खाता खोलकर बेच रहे थे ठगों को, 19 आरोपी गिरफ्तार
100 से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों की 20 अलग-अलग टीमों ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। टीम ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर 20 से अधिक स्थानों पर छापे मारे। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार, इन बैंक खातों से 3 करोड़ रुपए के लेन-देन की जानकारी मिली है।

कार्रवाई के बाद रेंज साइबर पुलिस की गिरफ्त में आरोपित, सभी को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेजा गया।
HighLights
- ऑनलाइन फ्रॉड में सिम का हो रहा था उपयोग।
- पुलिस ने 19 आरोपितों को किया है गिरफ्तार।
- इसके साथ ही ठगे गए 97 लाख रुपए कराए फ्रीज।
बिलासपुर। ऑनलाइन साइबर फ्रॉड में इस्तेमाल किए जाने वाले मनी म्यूल एकाउंट धारकों पर बिलासपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इसके साथ ही 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन बैंक खातों के जरिए करीब तीन करोड़ रुपये के अवैध लेन-देन का पर्दाफाश हुआ है।
साथ ही 97 लाख रुपये फ्रीज किए गए हैं। यह रकम अलग-अलग राज्यों में रहने वाले पीड़ितों से ठगी की गई थी। एएसपी राजेंद्र जायसवाल ने बताया कि बिलासपुर रेंज साइबर थाना और एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट की अलग-अलग टीम ने दिल्ली, अलवर (राजस्थान) सहित विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर आरोपित को पकड़ा।
इस कार्रवाई में 100 से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों की 20 अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं। टीम ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर 20 से अधिक स्थानों पर छापे मारे। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जालसाजों ने ठगी के लिए फर्जी मोबाइल सिम का उपयोग किया है।
अलग-अलग जगहों से की गई गिरफ्तारी
इसमें फर्जी खाता उपलब्ध कराने में कुछ बैंक के कर्मचारी भी शामिल हैं। जांच में मिले तथ्यों के आधार पर पुलिस की टीम ने फर्जी सिम बेचने वालों की जानकारी जुटाई। साथ ही बैंक के कर्मचारियों की पहचान की गई। इसके आधार पर पुलिस ने जिले के अलग-अलग जगहों से 19 लोगों को गिरफ्तार किया है।
छत्तीसगढ़ में नहीं करते थे उपयोग
सीएसपी निमितेष सिंह ने बताया कि जालसाज के संपर्क में आकर गिरोह से जुड़े युवकों ने उन्हें बैंक खाता और मोबाइल सिम उपलब्ध कराया। इधर, जालसाज छत्तीसगढ़ के बैंक एकाउंट का यहां की जाने वाली ठगी में उपयोग नहीं करते थे। इन बैंक एकाउंट का उपयोग दूसरे राज्यों में करने वाले ठगी की घटनाओं में उपयोग करते थे।
अनजान सोर्स से आए रुपयों की दें जानकारी
सिविल लाइन सीएसपी निमितेष सिंह ने बताया कि जालसाजी के लिए ठग गिरोह के लोग अपनी पहचान छुपाने के लिए दूसरों के बैंक एकाउंट का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि अगर अनजान सोर्स से रुपये आते हैं या खाते का उपयोग करने के लिए कमिशन देने की बात कही जाती है, तो इसकी जानकारी तत्काल स्थानीय पुलिस को दें।
साथ ही अपने बैंक में इसकी जानकारी देकर अनजान सोर्स से आए रुपयों को उसी खाते में वापस करा दें। इससे पुलिस की कार्रवाई से बचा जा सकता है। कमिशन के लालच में आकर व्यक्ति न सिर्फ जालसाजी का आरोपित बन सकता है, साथ ही उसे सजा भी हो सकती है।
गिरफ्तार आरोपित
- सत्यनारायण पटेल, निवासी सेंदरी
- राकेश भेड़पाल निवासी सेंदरी
- दुर्गेश केंवट निवासी सेंदरी
- शिवशंकर यादव निवासी गगन अपार्टमेंट के पास डीपूपारा
- राजकुमार पाल निवासी सेंदरी
- नंदकुमार केंवट निवासी इटवा मस्तूरी
- दीपेश कुमार निर्मलकर नगीना मस्जिद के पास तारबाहर
- सुरेश सिंह निवासी सेंदरी
- शेखर चतुर्थी निवासी कोटा
- रोशन कुमार साहू लिमतरा जिला सक्ती वर्तमान निवासी अज्ञेय नगर
- कुनाल मंडावी निवासी बलौदाबाजार
- प्रथम सोनी निवासी पुरानी बस्ती कोटा
- दिपांशु साहू निवासी कोटा
- अमन तिवारी निवासी कोटा
- रामलाल यादव निवासी ग्राम खैरा थाना मस्तूरी
- अमित पाल निवासी ग्राम खैरा जयरामनगर
- अब्दुल रशीद निवासी तालापारा
- मुख्तार खान निवासी तालापारा महामाया मंदिर के पास
- गुज्जला जगदीश कुमार निवासी हेमूनगर
जालसाजों के लिए खुलवाते थे खाते
रेंज साइबर थाना में पदस्थ निरीक्षक विजय चौधरी ने बताया कि 23 साल का शेखर चतुर्थी निवासी कोटा और 25 साल का रोशन कुमार साहू निवासी लिमतरा जिला सक्ती कोटेक महिंद्रा बैंक में काम करते थे। यहां पर वे अमन तिवारी (21) निवासी कोटा और अमित पाल (34) को फर्जी बैंक एकाउंट खुलवाने में मदद करते थे।
इसके लिए कोटा के वार्ड नंबर 10 में रहने वाला दिपांशु साहू (19) ने फर्जी मोबाइल सिम उपलब्ध कराया था। साइबर सेल से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने म्यूल एकाउंट की जानकारी जुटाकर कार्रवाई की है। मस्तूरी क्षेत्र के खैरा जयराम नगर में रहने वाला अमित पाल (34) ने करीब 250 बैंक खाते खुलवाए थे।
क्या होता है मनी म्यूल
मनी म्यूल वह व्यक्ति होता है, जिसके बैंक खाते का उपयोग साइबर अपराधी ठगी की रकम ट्रांसफर करने में करते हैं। ये लोग आसान और जल्दी पैसा कमाने के लालच में अपने बैंक खातों को ठगों को सौंप देते हैं, जिससे अवैध लेन-देन को अंजाम दिया जाता है।
अगर कोई व्यक्ति मनी म्यूल बनता है, तो उस पर मनी लान्ड्रिंग के आरोप लग सकते हैं। बैंक खाते फ्रीज या जब्त किए जा सकते हैं और जेल या जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इस अपराध में शामिल व्यक्ति मुख्य अपराधी के बराबर जिम्मेदार होता है।
ऐसे करते थे धोखाधड़ी
पुलिस ने बताया कि आरोपित दिपांशु साहू मोबाइल सिम बेचने का काम करता था। वह शेखर चतुर्थी और अमन तिवारी के संपर्क में आया। दोनों ने उसे दूसरे के नाम पर मोबाइल सिम देने पर मोटी रकम देने की बात कही। रुपयों के लालच में वह फर्जी मोबाइल सिम देने राजी हो गया। अपनी दुकान पर मोबाइल सिम लेने वालों से वह दो बार थंब इंप्रेशन लेने लगा। एक सिम वह ग्राहक को देकर दूसरी सिम खुद अपने पास रख लेता था। इसे वह अमन और उसके साथियों को उपलब्ध कराता था। बाद में शेखर चतुर्थी, अमन तिवारी और उसके साथ मोबाइल सिम और बैंक खातों को दूसरे राज्यों में रहने वाले जालसाजों को बेच देते थे।