स्वयंभू मनु और शतरूपा को कैसे मिला दशरथ और कौशल्या का जन्म? वरदान से प्राप्त हुआ ऐसा सौभाग्य
हिंदू ग्रंथों में स्वयंभू मनु को ब्रह्मा का मानसपुत्र और धरती का पहला पुरुष बताया जाता है। उनकी पुत्नी शतरूपा भी धरती की पहली स्त्री मानी जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मनु और शतरूपा को भगवान विष्णु से एक वरदान मिला था जिस कारण उन्होंने भगवान को अपनी संतान के रूप में प्राप्त किया। चलिए जानते हैं वह कथा।
HIGHLIGHTS
- धरती के प्रथम स्त्री पुरुष-स्त्री थे मनु और शतरूपा।
- मनु और शतरूपा ने की घोर तपस्या।
- प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने दिया वरदान।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामायण और रामचरितमानस, हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में से एक हैं। इसका एक-एक पात्र हमें कुछ-न-कुछ शिक्षा जरूर देता है। इन्हीं में से एक राजा दशरथ और माता कौशल्या भी हैं, जो रामायण के मुख्य पात्र रहे हैं। इन्हें भगवान राम को अपने पुत्र के रूप में पाने का सौभाग्य वरदान के कारण प्राप्त हुआ था। ऐसे में चलिए जानते हैं कि राजा दशरथ एवं माता कौशल्या पूर्व जन्म में कौन थे।
मिलती है यह कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, स्वयंभू मनु और शतरूपा धरती के पहले पुरुष और स्त्री थे। उन दोनों ने अपना राज्य अपने पुत्र को सौंप दिया और नैमिषारण्य जाकर भगवान वासुदेव का ध्यान करने लगे। दोनों ने भगवान विष्णु को अपने पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। तब स्वयंभू मनु और शतरूपा ने भगवान विष्णु से कहा कि आप हमारे पुत्र बनें हमारी यही इच्छा है।