Tumor Surgery: हार्ट और फेफड़े की धमनियों में चिपका हुआ था ट्यूमर, ऑपरेशन के दौरान एक गलती से जा सकती थी मरीज की जान
HIGHLIGHTS
- छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों ने किया जटिल ऑपरेशन
- हृदय के ऊपर धमनियों से चिपके ट्यूमर निकाले
- दो मरीजों के हुए सफल ऑपरेशन, दोनों सकुशल
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एसीआई (एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट) के डॉक्टर ने दो जटिल सर्जरी करते हुए हृदय के ऊपर ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया है। दोनों ही ऑपरेशन इतने जटिल थे कि किसी भी निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने इसे करने से इन्कार कर दिया था, जिसके बाद दोनों ही मरीज एसीआई पहुंचे, जहां आयुष्मान कार्ड की सहायता से दोनों का निशुल्क ऑपरेशन किया गया।
निजी अस्पतालों में इसका न्यूनतम खर्च ढाई से तीन लाख रुपये तक आता है। इनमें 32 वर्ष के युवक की सर्जरी से डेढ़ किलो और पांच वर्ष के बच्चे की सर्जरी से ढाई किलो का ट्यूमर निकाला गया। इसमें कार्डियोवैस्कुलर सर्जन डा. कृष्ण कांत साहू सहित उनकी टीम का विशेष योगदान रहा।
डॉ. साहू ने बताया कि यह ऑपरेशन काफी जटिल था, क्योंकि दोनों ही मामलों में ट्यूमर हृदय के साथ ही फेफड़े की धमनियों में भी चिपका हुआ था, इसे निकालने के दौरान अगर गलती से एक भी धमनी को क्षति पहुंचती तो मरीजों की मौत तय थी। इसलिए बड़ी सावधानी से ऑपरेशन किया गया।
पांच वर्षीय बालक अब स्कूल जाने लगा है, जबकि 32 वर्षीय युवक को सोमवार को ही अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया।
केस-1 : सांस लेने और छाती में भारीपन की समस्या
पहले मामले में 32 वर्षीय मरीज को 10 महीने से छाती में भारीपन, खांसी एवं सांस लेने में समस्या थी। दो साल पहले मरीज को इस बीमारी के बारे में पता चला, लेकिन ऑपरेशन के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
यह ट्यूमर (कैंसर) हृदय के ऊपर व बाएं फेफड़े और उसकी मुख्य नस (मेन पल्मोनरी आर्टरी) से चिपका था, जिसके कारण इस ट्यूमर को निकालना बेहद कठिन था।
केस-2 : आधी छाती के बराबर था ढाई किलो का ट्यूमर
इसी तरह रायगढ़ के पांच साल के बच्चे के हृदय के ऊपर स्थित लगभग 2.5 किलो के मेडिस्टाइनल ट्यूमर का आकार लगभग आधा छाती के बराबर था। यह फेफड़े, महाधमनी, मुख्य नस और हृदय से इतना ज्यादा चिपका हुआ था कि इसे कई अन्य सेंटरों में आपरेशन के लिए मना कर दिया गया था।
मेडिकल भाषा में इस मेडिस्टाइनल ट्यूमर को इमैच्योर टेरैटोमा कहा जाता है। बच्चे के माता-पिता का कहना था कि इसके आपरेशन के लिए बच्चे को कई बड़े-बड़े अस्पतालों में ले गए थे, लेकिन सभी ने मना कर दिया।