थायराइड पीड़ित महिलाएं करा रहीं माइक्रोवेव एब्लेशन, गठान खत्म और सुंदरता भी बरकरार
मध्य प्रदेश में जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज के स्तन कैंसर व थायराइड विशेषज्ञ डा. संजय यादव बोले- मेडिकल कालेज उपलब्ध है यह आधुनिक उपचार, शोध में भी सामने आया इस गैर-सर्जिकल उपचार पर महिलाओं को अधिक विश्वास। सर्जरी में महिलाओं को कास्मेटिक चिंता रहती है, क्योंकि गले में निशान रहता है। यह चिंता माइक्रोवेव एब्लेशन में नहीं है।
HIGHLIGHTS
- अपनी तरह की मध्य भारत की एकमात्र इकाई है।
- उपचार में बिना चीरा थायराइड की गांठ हट जाती है।
- महिलाओं की सुदंरता पर कोई दाग नहीं छूटता।
गले में तितली के आकार जैसी ग्रंथि में विकार (थायराइड) की समस्या महिलाओं में सामान्य है। इसमें होने वाली गांठ के कारण गले का स्वरूप अंसतुलित हो जाता है। महिलाओं का सौंदर्य प्रभावित होता है। निदान के लिए होने वाली सर्जरी में चीरे का निशान रह जाता है। लेकिन नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में किए जा रहा माइक्रोवेव एब्लेशन महिलाओं को भा रहा है।
बिना चीरा थायराइड की गांठ हट जाती है
इस गैर सर्जिकल उपचार में बिना चीरा थायराइड की गांठ हट जाती है। उनकी सुदंरता पर कोई दाग नहीं छूटता। थायराइड की गठान के निदान को लेकर हाल ही में एक तुलनात्मक अध्ययन भी हुआ है। कालेज में मरीजों पर किए गए शोध में थायराइड पीड़ित महिलाओं ने आधुनिक उपचार प्रक्रिया को अधिक संतोषजनक माना है। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों में अभी जबलपुर में ही थायराइड पीड़ितों के माइक्रोवेव एब्लेशन की सुविधा है।
न एनेस्थीसिया, ना ही भर्ती होने की आवश्यकता
माइक्रोवेव एब्लेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमें त्वचा के माध्यम से ग्रंथि के अंदर की संरचना को उष्मा पहुंचाई जाती है। अनावश्यक कोशिकाओं को नष्ट कर ग्रंथि के आकार को नियंत्रित कर लिया किया जाता है। गले की त्वचा पर बिना चीरे के गांठ की समस्या दूर हो जाती है। इसमें ना तो पीड़ित को भर्ती करना पड़ता है, न ही एनेस्थीसिया दिया जाता है।
एंडस्कोपिक थायराइड सर्जरी की आवधारणा आई
कुछ ही देर में मरीज की अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। पूर्व में गांठ हटाने के लिए गले की त्वचा में छोटा सा चीरा लगाना पड़ता था। फिर एंडस्कोपिक थायराइड सर्जरी की आवधारणा आयीं। इसमें भी चीरे का निशान नहीं आता है, लेकिन यह भी सर्जिकल प्रक्रिया का ही भाग है।
यह पहला तुलनात्मक शोध
मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग की ब्रेस्ट थायराइड एंडोक्राइन यूनिट, अपने तरह की मध्य भारत की एकमात्र इकाई है। इसके प्रमुख स्तन कैंसर एवं थायराइड सर्जरी विशेषज्ञ डा. संजय यादव की टीम ने माइक्रोवेव एब्लेशन बनाम पूर्णत: दागरहित दूरबीन सर्जरी के बीच तुलनात्मक अध्ययन किया है।
मरीजों की स्थिति के आंकलन पर रिपोर्ट आधारित
इस शोध का वल्र्ड जर्नल आफ सर्जरी में प्रकाशन हुआ है। थायराइड के सर्जिकल और गैर सर्जिकल उपचार कराने वाले मरीजों में बाद की स्थिति के आंकलन पर यह रिपोर्ट आधारित है। इसके विश्व में अपनी तरह के पहले शोध होने का दावा किया गया है।
माइक्रोवेव एब्लेशन से कई थायराइड पीड़ितों का सफल उपचार किया गया है। यह तकनीक अभी प्रदेश में हमारे अस्पताल में ही उप्रयोग की जा रही है। थायराइड की सर्जरी में महिलाओं को कास्मेटिक चिंता रहती है, क्योंकि गले में निशान रहता है। यह चिंता माइक्रोवेव एब्लेशन में नहीं है। इस तकनीक से उपचार कराने वाले मरीज अधिक संतुष्ट हैं। एंडोस्कोपी में जो हल्की-फुल्की समस्या होती थी, वह भी नई तकनीक में नहीं होती।
– डा. संजय यादव, स्तन कैंसर व थायराइड विशेषज्ञ, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज