
रायपुर। राज्य में मनरेगा कर्मियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कम वेतन में अधिक कार्य करवाने के बावजूद बीते चार महीने से वेतन नहीं मिलने से प्रदेशभर के मनरेगा कर्मी मानसिक रूप से परेशान हैं। मनरेगा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय क्षत्रि ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सरकार द्वारा मनरेगा कर्मियों से केवल मनरेगा ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य कई कार्य करवाए जा रहे हैं, लेकिन वेतन भुगतान में लापरवाही बरती जा रही है।
वेतन भुगतान और मानव संसाधन नीति पर सवाल।
अजय क्षत्रि ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी शासित मध्यप्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में मनरेगा कर्मियों के लिए सेवा, सामाजिक सुरक्षा और वेतन भुगतान की एक अच्छी मानव संसाधन नीति लागू है। इन राज्यों में केंद्र से राशि न मिलने पर भी राज्य सरकार पूल फंड के माध्यम से वेतन भुगतान सुनिश्चित करती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद मनरेगा कर्मी वेतन संबंधी सुविधाओं से वंचित हैं।
बजट में अनदेखी से बढ़ी नाराजगी।
प्रदेश के मनरेगा कर्मी 3 मार्च को पेश किए गए वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट से भी निराश हैं। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने उनके लिए बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं किया, जिससे कर्मचारियों में रोष है। मनरेगा कर्मियों का कहना है कि कम वेतन में अधिक कार्य करवाने के बावजूद उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा, जिससे वे मानसिक रूप से पीड़ित हो रहे हैं।
सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप।
मनरेगा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक सेवा सुरक्षा के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। सितंबर 2024 में 15 दिनों के भीतर समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का वादा किया गया था, जिसमें मनरेगा कर्मियों के सेवा, भविष्य सुरक्षा और अनुकंपा नियुक्ति जैसी मांगों को शामिल करने की बात कही गई थी। लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। मनरेगा कर्मियों का कहना है कि पूर्व कांग्रेस सरकार की तरह अब भाजपा सरकार में भी केवल कमेटी बनाकर मामला लटकाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब वे वादों के पूरे होने का इंतजार करते-करते थक चुके हैं। “कभी-कभी देर से मिला न्याय भी अन्याय के समान होता है,” कहते हुए कर्मियों ने सरकार से जल्द से जल्द वेतन भुगतान और उचित नीति लागू करने की मांग की।