पिता की मौत ने छिना बच्चे का बचपन, अब 11 साल में ही उठा रहा घर की जिम्मेदारी, पढ़ाई के साथ करता है ये काम
आदित्य यादव का बचपन अन्य बच्चों की तरह नहीं रहा. कोरोना महामारी के दौरान पिता के निधन के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई. इस मुश्किल समय में उनकी मां ने घर पर ही समोसे और वड़ा बनाने का काम शुरू किया.

जिले के देवकीनंदन चौक के पास रहने वाले 11 वर्षीय आदित्य यादव आज के युवाओं के लिए एक मिसाल बन चुके हैं. कोरोना काल में पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने न केवल परिवार की जिम्मेदारी संभाली, बल्कि अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा. आदित्य अपनी साइकिल पर घूम-घूमकर समोसे बेचते हैं, जिससे उनका परिवार चलता है. उनकी ईमानदारी और मेहनत ने उन्हें पूरे इलाके में पहचान दिलाई है.
पिता की मृत्यु के बाद बढ़ी जिम्मेदारी
आदित्य यादव का बचपन अन्य बच्चों की तरह नहीं रहा. कोरोना महामारी के दौरान पिता के निधन के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई. इस मुश्किल समय में उनकी मां ने घर पर ही समोसे और वड़ा बनाने का काम शुरू किया. आदित्य ने अपनी मां का साथ देने के लिए पढ़ाई के बाद साइकिल पर समोसे बेचने का काम शुरू किया.
आदित्य की दिनचर्या अनुशासन से भरी हुई है. वे सुबह स्कूल जाते हैं और पढ़ाई में पूरी ईमानदारी दिखाते हैं. स्कूल से लौटने के बाद वे अपनी मां के बनाए समोसे साइकिल पर लेकर बेचने निकलते हैं. यह उनका रोज़ का रुटीन है, जिससे वे पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारी दोनों को निभा रहे हैं
लोगों के दिलों में बनाई खास जगह
आदित्य का समोसा लोगों को इतना पसंद आता है कि उन्हें “आदित्य समोसा वाले” के नाम से पहचान मिलने लगी है. उनकी मेहनत, ईमानदारी और स्वादिष्ट समोसे इलाके में चर्चित हो गए हैं. लोग अब उन्हें ढूंढकर समोसे खरीदते हैं और उनके काम की सराहना करते हैं. आदित्य ने बताया कि उन्हें अपने काम पर गर्व है. वे इसे ईमानदारी और मेहनत से करते हैं. उनका मानना है कि खुद का काम करने में किसी भी तरह की शर्म नहीं होनी चाहिए. यह सोच न केवल उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी है.
आदित्य संघर्ष और प्रेरणा की मिशाल
आदित्य यादव जैसे बच्चे हमारे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी कहानी यह दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी मेहनत और ईमानदारी से जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है. उनकी संघर्ष भरी यह यात्रा हर किसी को प्रेरित करती है कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल हों, हौसले और कर्म से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है.