साइकिल से मर्सिडीज तक… सुरेश चंद्रकार ने भ्रष्टाचार से खड़ा किया करोड़ों का साम्राज्य

बीजापुर के टीवी पत्रकार मुकेश चंद्रकार हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता ठेकेदार सुरेश चंद्रकार का सफर फिल्मी कहानी जैसा लगता है। नौंवी पास सुरेश वर्ष 2008 में 1500 रुपये वेतन पर पुलिस में स्पेशल पुलिस आफिसर (एसपीओ) के रूप में भर्ती हुआ था। बाद में वह पुलिस अधीक्षक के घर पर रसोइया बन गया।
धीरे-धीरे ठेकेदारी शुरू की और देखते-देखते साइकिल से चलने वाला सुरेश भ्रष्टाचार के सहारे 92 लाख की मर्सिडीज तक जा पहुंचा। आज उसने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। उधर, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंगलवार को मुकेश के परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है। वहीं, मुकेश के भाई युकेश ने स्वयं के लिए सुरक्षा की मांग की है।
डेढ़ दशक में छोटे से गांव बासागुड़ा के सुरेश ने भ्रष्टाचार कर इतना पैसा कमाया कि वह मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, जैसी गाडि़यों में चलने लगा। शासन और प्रशासन में भी उसकी अच्छ़ी पकड़ बनी।
पैसा और पावर के मेल से घमंड आया। इसी घमंड में चूर सुरेश के अहंकार को तब ठेस लगी, जब मुकेश ने उसके भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया। उसे भरोसा था कि पैसे के दम पर वह कुछ भी कर लेगा और कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। इस बार उसने मुकेश की हत्या का षडयंत्र रच डाला। भाइयों ने मिलकर अपने ही बाड़े में उसकी हत्या की और फिर शव सेप्टिक टैंक में डालकर चुनवा दिया।
पुलिस विभाग में फेंसिंग का ठेका लेने के बाद वर्ष 2012 में सुरेश ने ठेकेदारी का लाइसेंस हासिल कर लिया। नक्सल क्षेत्र का फायदा उठाकर उसने नक्सलियों के गठजोड़ से सड़कें बनानी शुरू की। जब चाहे अपनी सड़ चुकी गाड़ियां जलाकर यह दिखाता था कि नक्सल क्षेत्र में सड़क बनाना आसान नहीं है। ऐसा कर एक ही सड़क की दर कई गुना तक बढ़ाई गई। उसने जितने भी काम किए, उसमें यही नीति अपनाई। नेलसनार-गंगालूर सड़क निर्माण के भ्रष्टाचार को उजागर करने के कारण ही मुकेश की हत्या हुई थी। 52 किमी की सड़क का बजट 56 करोड़ था, लेकिन बाद में 188 करोड़ तक पहुंच गया था।