
मोबाइल नंबर को किया ट्रैक
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह बुधवार शाम को लापता हो गए और उनके बड़े भाई युकेश चंद्राकर ने अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि मुकेश के मोबाइल नंबर को ट्रैक करते हुए, पुलिस सुरेश चंद्राकर की संपत्ति पर पहुंची और एक सेप्टिक टैंक में शव पाया, जिसे कंक्रीट स्लैब के साथ ताजा डाला गया था। पुलिस को संदेह है कि हत्या जिले में सड़क निर्माण कार्य में अनियमितताओं की हालिया रिपोर्ट से जुड़ी है जिसे पीड़ित ने कवर किया था। बताया जाता है कि इस काम में सुरेश चंद्राकर शामिल थे।
विरोध में हाईवे पर चक्काजाम
बीजापुर सहित बस्तर संभाग में ठेकेदार की संपत्तियों को कुर्क करने और उसके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर पत्रकारों ने सुबह शहर के राष्ट्रीय राजमार्ग 36 पर अस्पताल चौक पर सड़क जाम किया।प्रदर्शनकारी पत्रकारों ने बीजापुर के पुलिस अधीक्षक के निलंबन या ट्रांसफर की भी मांग की। प्रदर्शनकारियों ने मांगें पूरी नहीं होने पर रविवार से अनिश्चितकालीन सड़क नाकाबंदी की चेतावनी दी है।
कौन थे मुकेश चंद्राकर?
फिलहाल घटना के संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।’
- मुकेश देशभर में नक्सल मामलों की पत्रकारिता का चर्चित नाम थे।
- वे एक जनवरी से लापता चल रहे थे।
- मगर दो दिन बाद एक ठेकेदार की कंस्ट्रक्शन कंपनी में बने सेप्टिक टैंक से पत्रकार मुकेश का शव मिला है।
- मुकेश ने कुछ दिन पहले ही भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
बता दें कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी शोक जताया है। विष्णु देव साय ने कहा कि बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का समाचार अत्यंत दु:खद और हृदयविदारक है। मुकेश ने टेकुलगुडेम में अगवा सीआरपीएफ जवान राकेश्वर मन्हास को छुड़वाने में सरकार और नक्सलियों के बीच अहम भूमिका निभाई थी।
मुकेश ने चलाया ‘बस्तर जंक्शन’
मुकेश ने एनडीटीवी सहित समाचार चैनलों के लिए एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम किया और एक यूट्यूब चैनल, ‘बस्तर जंक्शन’ चलाया, जिसके लगभग 1.59 लाख सबस्क्राइबर हैं। उन्होंने अप्रैल 2021 में बीजापुर में ताकलगुडा नक्सली हमले के बाद माओवादियों की कैद से कोबरा कमांडो, राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।