
कुरुक्षेत्र। विश्व की हर समस्या का समाधान पवित्र ग्रंथ गीता में निहित है। गीता के उपदेश आज भी पूरी तरह प्रासंगिक है। इन उपदेशों को आज हर व्यक्ति को अपने जीवन में धारण करने की जरूरत है। इन उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए स्वामी ज्ञानानंद अहम योगदान है। इन्ही के प्रयासों से ही सरकार विदेश में भी गीता महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। ये विचार गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बुधवार को गीता ज्ञान संस्थानम में श्रीकृष्ण कृपा जीओ गीता परिवार द्वारा आयोजित 5 दिवसीय दिव्य गीता सत्संग के शुभारंभ अवसर पर बोलते हुए व्यक्त किए। इससे पहले राज्यपाल आचार्य देवव्रत और स्वामी ज्ञानानंद ने गीता पूजन तथा दीप प्रज्जवलित करके सत्संग का शुभारंभ किया। आचार्य देवव्रत ने ज्ञानानंद की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने गीता को जन आंदोलन बनाया है और विश्व स्तर पर गीता की पहचान करवाने का श्रेय भी उन्हें जाता है। इससे पहले राज्यपाल ने संस्थानम में ध्यान साधना केन्द्र का उदघाटन भी किया। इस अवसर पर स्वामी निबंकाचार्य, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी नवलगिरी, स्वामी अगीतानंद, स्वामी मारूतिनंदन वागेश, स्वामी हरिओम परिजावक सहित अनेक संत महात्मा दिव्य गीता सतसंग के शुभारंभ पर उपस्थित रहें। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता घर-घर में पढी जानी चाहिए। गीता को जन आंदोलन बनाना होगा। इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव प्राधिकरण के सदस्य गौरव अग्रवाल (यूएसए), सेवानिवृत आईएएस अधिकारी सुमेधा कटारिया, डॉ. अजय अग्रवाल मौजूद थे।