Shani Dosh: शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या में क्या है अंतर? साथ ही जान लें बचाव के उपाय
अधिकतर लोग शनि ग्रह को एक क्रूर ग्रह मानते हैं। कई लोगों का यह भी मानना है कि शनि देव केवल अनिष्ट ही करते हैं लेकिन असल में ऐसा नहीं है। हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना जाता है। चूंकि वह प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं।
- हिंदू धर्म में न्याय के देवता माने जाते हैं शनि देव।
- व्यक्ति को उसके कर्मों का आधार पर फल देते हैं शनिदेव।
- शनि दोष होने पर बढ़ सकती हैं जीवन की मुश्किलें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जब भी कभी किसी व्यक्ति के जीवन में मुश्किलें बढ़ने लगती हैं, तो यह माना जाता है कि शनि देव उसे पीड़ा दे रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती और महादशा का वर्णन मिलता है। साथ ही ज्योतिष शास्त्र में इनके प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय भी बताए गए हैं। तो चलिए जानते हैं कि इन तीनों के बीच क्या अंतर है।
शनि की महादशा –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की महादशा 19 साल तक चलती है। ऐसा माना जाता है कि हर व्यक्ति के जीवन में एक बार शनि की महादशा जरूर आती है। इस दौरान यदि कोई व्यक्ति अच्छे कर्म नहीं करता है, तो उसको धन की हानि झेलनी पड़ सकती है। इसलिए व्यक्ति को शनि की महादशा के प्रभाव को कम करने के लिए इस दौरान अच्छे कर्म करें और किसी के साथ छल-कपट और द्वेष की भावना न रखें। इसी के साथ जरुरतमंद लोगों में दान आदि करना और हनुमान चालीसा का पाठ करना भी एक बेहतर उपाय माना जाता है।