Hartalika Teej 2024: 5 या 6 सितंबर, हरतालिका तीज की डेट को लेकर हैं कन्फ्यूज, तो एक Click से जानें सही तारीख
हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा शिव जी और माता की पूजा की जाती है। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है क्योंकि इस व्रत को निर्जला (Hartalika Teej 2024 Date) रखने का विधान है। सुहागन महिलाओं के लिए यह व्रत करना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है।
- भाद्रपद माह में किया जाता है हरतालिका तीज का व्रत।
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का है विधान।
- सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाता है हरतालिका तीज व्रत।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भाद्रपद में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज व्रत किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया तिथि 05 सितंबर से शुरू हो रही है, वहीं इसका समापन 06 सितंबर को होने जा रहा है, जिस कारण लोगों में यह कन्फ्यूज बना हुआ है कि हरतालिका तीज व्रत कब रखा जाएगा। आइए दूर करते हैं यह कन्फ्यूज।
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej Shubh Muhurat)
इस साल भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 05 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शुक्रवार 06 सितंबर 2024 के दिन हरतालिका तीज का व्रत मान्य होगा। इस दौरान पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है –
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 02 से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक
इस तरह करें शिव-पार्वती की पूजा (Hartalika Teej 2024)
हरतालिका तीज की पूजा सुबह के समय करना उचित माना गया है। इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद हाथ में जल लेकर निर्जला व्रत (Hartalika Teej 2024 Significance) का संकल्प लें। यदि ऐसा करना आपके लिए संभव नहीं, तो आप फलाहार भी कर सकते हैं। इस दिन अपने शृंगार में अधिक-से-अधिक हरे रंग का इस्तेमाल करें।
अपने मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें। अब इस चौकी पर शिव-पार्वती की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। गणेश जी को तिलक लगाकर पूजा से शुरुआत करें और उन्हें दूर्वा भी अर्पित करें। इसके बाद महादेव को बेलपत्र और माता पार्वती को शृंगार की सामग्री अर्पित करें। पूजा संपन्न होने के बाद शिव जी और माता पार्वती की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
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