छत्तीसगढ़ में तेजी से फैल रहा स्वाइन फ्लू, रोज मिल रहे औसतन 12 केस, स्वास्थ्य विभाग ने कहा- लक्षण मिले तो तुरंत कराएं जांच
छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू की स्थिति गंभीर होती जा रही है। प्रतिदिन औसतन 10 से 12 मरीज सामने आ रहे हैं। बिलासपुर में सर्वाधिक आठ लोगों की मौत हुई है, जबकि 108 मरीज मिल चुके हैं। रायपुर में भी 85 मरीज मिल चुके हैं।
HIGHLIGHTS
- छत्तीसगढ़ में अब तक 18 की मौत, 300 से अधिक मरीज आए सामने
- स्वास्थ्य विभाग का अस्पतालों में जांच-इलाज के पुख्ता इंतजाम के निर्देश
- घबराए नहीं लक्षण नजर आते ही तत्काल कराएं जांच, लापरवाही पड़ सकती है भारी
रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू की स्थिति गंभीर होती जा रही है। प्रतिदिन औसतन 10 से 12 मरीज सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में जांच और इलाज की पूरी व्यवस्था रखने के निर्देश दिए हैं। दावा है कि स्वास्थ्य संबंधित सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। विभाग ने सतर्कता बरने के लिए लोगों से अपील की है। लोगों से भीड़भाड़ वाले स्थानाें पर नहीं जाने, मास्क लगाने और बीमारी के लक्षण होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचने के लिए कहा गया है। बीमारी से माहभर में 18 लोगों की मौत हुई है, जबकि 300 से अधिक मरीज मिल चुके है।
बिलासपुर में मिले सबसे ज्यादा मरीज
बिलासपुर में सर्वाधिक आठ लोगों की मौत हुई है, जबकि 108 मरीज मिल चुके हैं। रायपुर में भी 85 मरीज मिल चुके हैं। जांजगीर-चांपा, राजनांदगांव, दुर्ग, बीजापुर, धमतरी, महासमुंद समेत प्रदेशभर से स्वाइन फ्लू के मरीज मिल रहे हैं।
वर्तमान में 112 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज जारी है। वहीं, 13 मरीज होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे हैं। राजधानी में स्वाइन फ्लू का पहला केस जुलाई के पहले सप्ताह में आया था। कांकेर का मरीज निजी अस्पताल में भर्ती था। उसे इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया था।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण आते ही तत्काल जांच कराएं। इलाज में देरी जानलेवा हो सकती है। बिलासपुर, राजनांदगांव व अन्य जिलों में जिन मरीजों की मौत हुई है, वे काफी विलंब से अस्पताल पहुंचे थे। किसी भी तरह की जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 104 पर चौबीसों घंटे संपर्क किया जा सकता है।
हवा से फैलती है बीमारी
स्वाइन फ्लू एक संक्रमण है, जो एक प्रकार के फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वायरस के कारण होता है। इन्फ्लूएंजा से पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, इसलिए मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन वार्ड की जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू को लेकर पूरे प्रदेश में आइसोलेशन वार्ड तैयार किए हैं। जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेज में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण सामान्य मानव फ्लू के लक्षणों के समान ही होते हैं। इसमें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिरदर्द, ठंड लगना और थकान शामिल हैं। कुछ लोगों ने दस्त और उल्टी की भी शिकायत होती है।
सर्दी, खांसी और कफ के साथ तेज बुखार से पीड़ितों का स्वाइन फ्लू टेस्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी शासकीय अस्पतालों में आइसोलनेश वार्ड बनाए गए हैं। लक्षण नजर आते ही लोग तुरंत अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं। अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में टैमी फ्लू, एन-95 मास्क उपलब्ध हैं।
डा. एस पामभोई, संचालक, महमारी नियंत्रक, छत्तीसगढ़
यह बरतें सावधानियां
– खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को टिशू से ढकें। इस्तेमाल करने के बाद कूड़ेदान में फेंक दें।
– हाथों को अक्सर साबुन और पानी से धोएं, विशेष रूप से खांसने या छींकने के बाद।
– आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें। रोगाणु इसी तरह फैलते हैं।
– बीमार लोगों के संपर्क में जाने से बचें। घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं।
– 72 घंटों में स्वस्थ नहीं होने पर स्वाइन-फ्लू की जांच अवश्य कराएं।