सहकारिता के माध्यम से ही समावेशी आर्थिक विकास संभव, सहकारी संस्थाओं के संचालन में निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका -सहकारिता राज्य मंत्री
जयपुर, 19 नवम्बर। सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गौतम कुमार दक ने कहा कि सहकारिता समावेशी विकास का एक ऐसा मॉडल है जो जाति, वर्ग, रंग या भाषा के परे जाकर समाज के सभी वर्गों और समुदायों को उनकी आवश्यकताओं और स्थानीय संसाधनों के आधार पर विकास के अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता हमेशा सभी वर्गों के मध्य अवसरों में समानता को बढ़ावा देते हुए गरीबी को कम करने एवं रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करने के लिये उपयुक्त प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है। इसलिये सहकारिता के माध्यम से समावेशी आर्थिक विकास संभव है। नेहरू सहकार भवन स्थित सभागार में राजस्थान सहकारी संघ द्वारा 71वें राष्ट्रीय सहकार सप्ताह के तहत आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में ‘‘महिलाओं, युवाओं और कमजोर वर्गों के लिये सहकारिता’’ विषय पर अपने संबोधन में श्री दक ने कहा कि किसी भी सहकारी संस्था के प्रभावी संचालन में निर्वाचित प्रतिनिधियों और कार्मिकों के मध्य समन्वयय के साथ-साथ अपने-अपने कार्य दायित्वों के निर्धारण और उनके निर्वहन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि निर्वाचित प्रतिनिधियों को सहकारी कानून, नियम और संस्था के उपनियमों की पूरी जानकारी है तो वह अपने अनुभव और स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर संस्था के संचालन में महती भूमिका निभा सकते हैं। सहकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं, युवाओं और कमजोर वर्ग के लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने, उन्हें उद्यम स्थापित करने के लिये सस्ती ब्याज दरों पर सुलभ ऋण ऋण मुहैया कराने और उत्पादों के विक्रय के लिये प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के लिये कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना के तहत एक लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराना, दीर्घकालीन कृषि ऋणों पर पहली बार 7 प्रतिशत का ब्याज अनुदान, पहली बार अकृषि ऋणों पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान, नये सदस्यों को अल्पकालीन ब्याज मुक्त फसली ऋण देना, प्रत्येक पंचायत समिति में एक महिला ग्राम सेवा सहकारी समिति का गठन आदि जैसे कदम उठाये हैं। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ एवं इफको के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी ने कहा कि हमें महिला और युवाओं के मामले में नजरिया बदलने की आवश्यकता है कि वे कमजोर हैं। हम महिलाओं और देश के युवाओं को अवसर उपलब्ध नहीं कराते हैं, जिससे उनकी योग्यता का उपयोग नहीं हो पाता है। उन्हें मौका देंगे तो उनकी ऊर्जा का सदुपयोग होगा और वे अपने विकास के साथ-साथ समाज और देश के विकास में नये रंग भर देंगे। इसलिये उन्होंने सहकारजन का आह्वान किया कि वे सहकारी सोसायटियों के माध्यम से महिलाओं और युवाओं की योग्यता के आधार पर अवसर तलाशे और प्लेटफार्म उपलब्ध करावें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिक सोसायटियों के लिये मॉडल उपनियमों के संहिताकरण का कार्य किया जा रहा है और उनके लिये अब 50 से अधिक क्षेत्रों की पहचान की गई है जिसमें ऐसी सोसायटियां कार्य कर सकती हैं। श्री संघानी ने कहा कि केन्द्र सरकार की पहल पर अब किसान या आर्टिजन अपने उत्पादों का पोर्टल के माध्यम से एक्सपोर्ट कर सकता है, उसे इसके लिये किसी बिचौलिये की आवश्यकता नहीं है। शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारिता श्रीमती मंजू राजपाल ने कहा कि महिला और युवाओं की शक्ति अपार हैं। लेकिन संसाधनों के अभाव के कारण उनकी योग्यता का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश की महिलाओं को पर्याप्त अवसर, उद्यमशीलता के लिये प्रशिक्षण, नवीन तकनीक का ज्ञान और उपयुक्त प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जावे तो वे विकास नये सोपान गढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पैक्स कम्प्यूटराईजेशन और उनके गो-लाइव का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसके पूर्ण होने से प्रदेश में ग्राम स्तर पर पारदर्शिता स्थापित होगी और त्वरित बैंकिंग एवं ई-मित्र जैसी सुविधायें मिल सकेंगी। इस अवसर पर सहकारिता मंत्री द्वारा नीमोद ग्राम सेवा सहकारी समिति की ड्रोन दीदी के नाम से जाने जानी वाली सुश्री सरोज राठौड और उनकी साथिन को शॉल ओढाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में राजस्थान राज्य सहकारी संघ के प्रशासक श्री भौमा राम द्वारा प्रदेश में सहकारिता के विकास और उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला गया तथा अन्त में मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री आर. एस. चौहान द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रदेश के सभी जिलों से सहकारजनों सहित महिलाओं और विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा भाग लिया गया।