
छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में फंसे पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा की नियमित जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस अरविंद वर्मा ने अपने फैसले में कहा कि भ्रष्टाचार राष्ट्र के लिए गंभीर खतरा है और इसे एक गंभीर अपराध मानते हुए आरोपियों को दंडित करना आवश्यक है।
स्पेशल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में दी चुनौती
विशेष अदालत के आदेश पर दोनों को रायपुर जेल से ट्रांसफर कर दिया गया। जिस पर स्पेशल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। जिसमें बताया कि, उनके केस की सुनवाई रायपुर कोर्ट में चल रही है। इसलिए पेशी में उन्हें उपस्थित होना पड़ता है। उनके वकील भी रायपुर जेल में उनसे मुलाकात करते रहे हैं।
इसके अलावा परिवार के सदस्य भी रायपुर में रहते हैं। जिससे परिवार के लोगों को भी जेल में मिलने में सुविधा होती है। जेल अधीक्षक के आवेदन पर रायपुर विशेष न्यायाधीश ने उनका पक्ष सुने बिना ही एकपक्षीय आदेश जारी किया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच में हुई। उनका पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने दोनों को रायपुर जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया है।
टुटेजा के वकील ने सुनवाई के दौरान यह तर्क रखा था कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं और राजनीतिक षडयंत्र के तहत उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। लेकिन, राज्य शासन ने अपने तर्क में बताया कि टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर के साथ मिलकर शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक थे, जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और शराब की अवैध बिक्री में शामिल रहे।
हाईकोर्ट ने गंभीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए जमानत याचिका को खारिज किया और कहा कि इस अपराध की प्रकृति बहुत गंभीर है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह जीवन, स्वतंत्रता, समानता और भेदभाव के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
इसके अलावा, सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि जांच में कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका सामने आई है और टुटेजा ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर सिंडिकेट के लिए रिश्वत का भुगतान सुनिश्चित किया था।
है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
ED की ओर से दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी, जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।